*स्वरचित अभंग*
विजेची बचत
विजेची बचत | गरज काळाची |
प्रगती देशाची | त्याने घडे ||१||
घरोघर आहे | साहित्य विजेची |
आधुनिकतेची | कसोटी ती ||२||
लाईट व पंखे | दूरचित्रवाणी |
यंत्र शुद्ध पाणी | झाले बहु ||३||
गरज नसता | बंद ठेवा सारे |
उगाचच का रे | वीज खर्च ||४||
हिच देशसेवा | बचतीचा वसा |
प्रत्येक माणसा | करा सक्ती ||५||
भारनियमन | कुणास आवडे |
वागता का वेडे | परी ऐसे ||६||
सावध रहावे | नको वीज चोरी |
कुणाची मुजोरी | कशासाठी ||७||
एकाच्या चुकीची | सर्वा होई शिक्षा |
कशाला परीक्षा | हो विषाची ||८||
धक्का हा विजेचा | न लागो कुणास |
सावधपणास | तुम्ही जागा ||९||
बचतीचा मंत्र | निश्चय मनात |
जागृती जनात | करू सारे ||१०||
अरविंद कुळकर्णी
मलकापूर
जिल्हा – बुलडाणा